उत्तर कोरिया
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प्योंगयांग। सिंगापुर के एक फोटोग्राफर को जब उत्तर कोरिया जाने की मंजूरी मिली, तो वहां की बंजर जमीन और उदास लोगों को देखने के लिए वो खुद को तैयार करने लगा, जैसा कि उसने एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए उत्तर कोरिया के बारे में जाना था, लेकिन वहां का नजारा उसकी पहले से बनाई गई सोच के बिलकुल उलट था।
2013 में कम्युनिस्ट एन्क्लेव के दौरान फोटोग्राफर अरम पान ने उत्तर कोरिया में हलचल भरे बाजारों के लेकर खेतों में लहलहाती फसल और पश्चिमी सभ्यता वाले वॉटर पार्क में पुरुषों और महिलाओं की मस्ती तक सब देखा। अपने पुराने भ्रमों और पूर्व धारणाओं को भुलाते हुए अरम ने अपनी छुट्टियों का पूरा मजा लिया।
देश में पहुंचने वाले बाकी फोटोग्राफरों की तरह अरम ने उत्तर कोरिया के अंदरूनी इलाकों में ली तस्वीरों और वीडियो को छिपाया नहीं। उन्होंने अनुमति लेकर देश के हर इलाके की तस्वीरें ली और उन्हें दुनिया के सामने रखा। अरम बताते हैं कि वो उत्तर कोरिया के बारे में जानने के लिए कई साल से बहुत उत्सुक थे। ये उन रहस्यों में से एक था जिसकी खोज अरम अपने लिए करना चाहते थे।
उम्मीद से बिलकुल उलट है ये देश
अपने दो दौरों के दौरान अरम ने उत्तर कोरिया में प्योंगयांग से लेकर ह्यांगसान और वोनसन से कुमगंगसन तक बहुत सी जगहों का दौरा किया और वहां की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया। इस दौरे के दौरान कई बातों ने अरम को काफी परेशान किया। अरम कहते हैं कि इस दौरान उन्होंने जो हालात देखे और तस्वीरों में कैद किए, वो उनकी सोचने के मुताबिक जरा भी बुरे नहीं थे।
बाकी किसी शहर की तरह उत्तर कोरिया के शहरों में भी लोगों की रोजाना की जिंदगी बहुत सामान्य थी। हालांकि, तस्वीरें देखने और उनका अनुभव सुनने के बाद अरम के कुछ दोस्तों ने उनसे कहा कि उन्होंने जो कुछ भी देखा है, वो सब दिखावा है। उसके द्वारा खींची गई ये तस्वीरें बेहद बनावटी माहौल की हैं।
अरम लेकिन इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका मानना है कि तर्कों पर अगर विश्वास किया जाए, तो इतना सबकुछ बनावटी नहीं हो सकता। अरम कहते हैं कि क्या केवल दिखावे के लिए कोई कई मीलों तक लहलहाती फसल खड़ी कर सकता है, क्या हजारों की संख्या में लोग किसी आरकेस्ट्रा की तरह बनावटी जिंदगी जी सकते हैं।
फोटोग्राफरों के लिए नहीं है रोक-टोक
अरम के दौरे से उत्तर कोरिया में फोटोग्राफरों के रोक-टोक की धारणाएं भी गलत साबित होती हैं। अरम ने कहा कि उत्तर कोरिया के दौरे के दौरान उन पर किसी तरह की बंदिशें नहीं थी। वहीं रहने के दौरान उन्हें बाहर आने-जाने के लिए कोई तय शेड्यूल नहीं मिला था और उन्हें कहीं भी आने-जाने की पूरी आजादी थी। इस दौरान अरम के द्वारा ली गई किसी तस्वीर को ना तो जब्त किया गया और ना ही हटाया गया।
अरम ने उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयान की सड़कों से लेकर, देश के अंदरूनी इलाकों, समुद्र के किनारे और तकरीबन सभी मशहूर जगहों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया है। अपने दो दौरों में अरम ने वहां के लैंडमार्क टावर ऑफ ज्यूच आइडिया, द रॉयल टॉम्ब ऑफ किंग टॉन्गमीयांग और द कमगैंग रियूनियन सेंटर भी देखे। इसके साथ ही वहां के खास पकवानों का भी मजा लिया।
नहीं टूट रही हैं पुरानी धारणाएं
दरअसल, 1990 में उत्तर कोरिया ने अकाल का एक भयानक दौर देखा था। इस अकाल में देश में करीब पांच लाख से छह लाख लोगों ने जान गंवाई थी। उत्तर कोरिया में घटी भुखमरी की इस घटना के चलते देश के बारे में अब भी लोगों की यही धारणा है कि उत्तर कोरिया कंगाल और भूखा देश है।
अरम ने कहा कि उन्हें लगता है कि उनके इस प्रोजेक्ट के जरिए कुछ बेहतर होगा। अरम का विश्वास है उत्तर कोरिया अगर बाहरी दुनिया के साथ संपर्क बढ़ाए और खासकर पर्यटकों के साथ अपने व्यवहार को और बेहतर कर ले, तो लोगों को देश को बेहतर तरीके से जानने-समझने का मौका मिलेगा।
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